भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
रसना राम राम कह जारी / ईसुरी
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:12, 1 अप्रैल 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ईसुरी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGeet}} {{KKCatBu...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
रसना राम राम कह जारी,
कौन जात है हारी।
जौ हरनाम सजीवन बूटी,
खात बनै तो खारी।
काँलों दिन उर रात सिखइये,
बऔ जात बिरथाँरी।
ईसुर हमना कोउ तुमाये
तैनाँ कोउ हमारी।