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जीवन श्री जगन्नाथ जाल सें निनोरौ / ईसुरी
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बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
जीवन श्री जगन्नाथ जाल सें निनोरौ।
थाकें ना हात-पाँव, कोऊ ना घरै नाँव,
चलत फिरत चलौ जाँव, घोरूआ न घोरों।
जीवन श्री ...
बानी रहै बान तान, इज्जत के संग सान,
दीनबन्धु दीनानाथ रै गऔ दिन थोरों।
जीवन जौ ...
हाँत जोर चरन परत, चरनामृत घोय पियत
जियत राँम देखोंना, दूसरे को दोरौं।
जीवन श्री ...
ईसुरी परभाति पड़त, आवरदा सोऊ बड़त,
कीचड़ में सनौ मऔ, नीर ना बिलोरों।
जीवन श्री ...