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राखें मन पंछी ना रानें / ईसुरी

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राखें मन पंछी ना रानें,
इक दिन सब खाँ जानें?
खालो पीलो, लैलो दैलो,
ये ही लगै ठिकानें,
कर लो धरम कछूबा दिन खाँ,
जा दिन होत रमानैं।
ईसुर कई मान लो मोरी,
लगी हाट उठ जानैं।