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ढप सौ ढाल सरीसौ चइये / ईसुरी
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बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
ढप सौ ढाल सरीसौ चइये।
मित औईसौं कइये।
सुखमें रयै पछारँ भारी।
दुख में ऑगू रइये।
सबई अनी के अस्त्र बचावैं
तऊ स्वारथ ना कइये।
काम देय मौका पै ईसुर
आजावै जाँ चइये।