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नैना ना मारौ लग जै हैं / ईसुरी
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बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
नैना ना मारौ लग जै हैं।
मरम पार हो जै हैं।
बख्तर जुलम कहा कर लै हैं।
ढाल फार कढ़ जै हैं।
नैनाँ मार चली ससुर खाँ,
डरे कलारत रै हैं।
ओखद मूर, एक ना लग है।
वैद गुनी का कै है?
कात ‘ईसुरी’ सुन लो प्यारी,
दरस दवाई दै हैं?