बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
पिया लै दो हमें हरियल सारी,
पलका पै मचल रई हैं प्यारी
सूत महीन, झीन ना हौवै,
बड़ी मुलाम तरज बारी।
छोरन मोर पपीरा राजें,
जरद कोर की जरतारी।
बीचन बीच बेल बूटन सें
भरी होय कछु फुलवारी।
कहत ईसुरी सुनलो प्यारी,
भोर भगा है सुकमारी।