भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जगेसर खेले हालरो वो / मालवी

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:23, 29 अप्रैल 2015 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

जगेसर खेले हालरो वो
माता कांकी बऊ घोल्यो थारो लोपणो
माता कांकी बऊ ने पुरविया मोती चौक
माता कांकी बऊ ने भरिया थारा बेड़ला
माता कांकी बऊ ने बोया थारा जाग
जगेसर खेले हालरो
माता कांकी बऊ खे दीजो नंद डीकरो
माता कांकी बऊ खे अखंड अपात
माता आसिहो चूड़ो ने अम्मर चांदली
आखियो धन केसरिया रो राज।