भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
शहीदों की याद में / अज्ञात रचनाकार
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:41, 1 मई 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अज्ञात रचनाकार |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
रचनाकाल: सन 1931
फांसी का झूला झूल गया मर्दाना भगतसिंह,
दुनिया को सबक दे गया मस्ताना भगतसिंह।
राजगुरु से शिक्षा लो, दुनिया के नवयुवको!
सुखदेव से पूछो, कहां मस्ताना भगतसिंह।
रोशन कहां, अशफ़ाक़ और लहरी, कहां बिस्मिल,
आज़ाद से था सच्चा दोस्ताना भगतसिंह।
स्वागत को वहां देवगण में इंद्र भी होंगे,
परियां भी गाती होंगी ये तराना भगतसिंह।
दुनिया की हर एक चीज़ को हम भूल क्यों न जाएं,
भूलें न मगर दिल से मस्ताना भगतसिंह।
भारत के पत्ते-पत्ते में सोने से लिखेगा,
राजगुरु, सुखदेव और मस्ताना भगतसिंह।
ऐ हिंदियो, सुन लो, ज़रा हिम्मत करो दिल में,
बनना पड़ेगा सबको अब दीवाना भगतसिंह।