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भाग्यवादी / सुरेन्द्र झा ‘सुमन’

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राजा महामात्यसँ पूछल-‘भाग्यवाद की साँच’?
मन्त्री कहल-‘भाग्य फलदायक होइछ, एतय न आँच’
‘कोना?’ प्रश्न सुनि मंत्री बजला,देव कर’क थिक जाँच
मिलि जुलि दुहु योजना बनौलनि, भाग्य साँच वा काँच?
ओही राति भवनमे पोटरी गेल एक लटकौल
दुइ भूखल जन केँ अन्हारमे पुनि ओहि घरहि ढुकौल
भाग्यक विश्वासी भुखलहु पुनि पड़ल कोनमे जाय
टोइया-टापर दय पुरुषार्थी झोड़ी लेल उठाय
छल चिनिया बादाम, बीछि पुनि फोड़ि-फोड़ि मुह देल
आँकड़ जे भेटय तकरा संगी दिस फेकइत गेल
भोरे आबि देखै छथि राजा - मन्त्री, दुहु छल निन्न
किन्तु एक लग छिलका, दोसर लग मणि-रत्न अछिन्न