भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अरिष्टासुर-वध / कृष्णावतरण / सुरेन्द्र झा ‘सुमन’

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:54, 15 मई 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुरेन्द्र झा ‘सुमन’ |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एहिना दुष्ट अरिष्ट असुर बल पुष्ट वलीवर्दक आकार
पैसल व्रजमे सींग चलबइत करइत खुरहुक वज्र प्रहार
पशु-गण हुँकड़ि छान-पगहा सब तोड़ि छहोछित गेल पड़ाय
बालक सब थर्राय नुकायल, बूढ़-बुढ़ानुस मन अकुलाय
बहरयला गोविन्द गोठसँ ओठ हँसी छल मन निःशंक
झपटि पकड़लनि सींग, डींग असुरक सब घोसड़ि गेल मुख वंक
ठेलि दूर धरि, रगड़ि मूड़ धरि, फेकल दूर चूर अतिकाय
अंतकाल ओ अपनहि सहजहिँ रूप विरूप प्रकट अधिकाय