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अरिष्टासुर-वध / कृष्णावतरण / सुरेन्द्र झा ‘सुमन’
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एहिना दुष्ट अरिष्ट असुर बल पुष्ट वलीवर्दक आकार
पैसल व्रजमे सींग चलबइत करइत खुरहुक वज्र प्रहार
पशु-गण हुँकड़ि छान-पगहा सब तोड़ि छहोछित गेल पड़ाय
बालक सब थर्राय नुकायल, बूढ़-बुढ़ानुस मन अकुलाय
बहरयला गोविन्द गोठसँ ओठ हँसी छल मन निःशंक
झपटि पकड़लनि सींग, डींग असुरक सब घोसड़ि गेल मुख वंक
ठेलि दूर धरि, रगड़ि मूड़ धरि, फेकल दूर चूर अतिकाय
अंतकाल ओ अपनहि सहजहिँ रूप विरूप प्रकट अधिकाय