बच्चे फूल हैं / प्रकाश मनु
आसमान का चेहरा
तारों के बिना
कोई अंतरंग पहचान नहीं जगाता
और धरती का सुख
बिना फूलों के नहीं है...
जाने किस अदृश्य
जादू के आभ्यंतरिक स्पर्श से
बच्चे इस बात को जान लेते हैं!
बच्चे घरों से निकलकर
मैदान में आ गए हैं फूलों, पेड़ों, चिड़ियों
और परछाइयों के बीच
उत्साही खेलां की तन्मयता में खोने।
उनके तरह-तरह के खेल
शायद एक ही जीवन्त खेल के हिस्से हैं
और वह खेल कभी खत्म नहीं होता
तब भी-
जब बच्चे अपनी-अपनी नींद और सपनों की गोद में
सिर रख
सो जाते हैं
सोते हुए बच्चों की मद्धिम मुस्कानें
फल हैं
जागते हुए बच्चों की हंसी, खेलते हुए बच्चों की
उल्लसित मुस्कानें फूल हैं...
बच्चे फूल हैं
धरती की वात्सल्यमयी गोद में
थिरकते भविष्य स्वप्न-
जिनसे धरती से आसमान तक बेपनाह
खुशियों की लड़ियों
की खूबसूरती है!