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सोच / प्रकाश मनु

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मनु सोचता है
जो भी मनु है, सोचता है
क्योंकि वह मनु है इसलिए मनन करता
मिनमिन करता सोचता है

क्योंकि सोच के पैसे नहीं लगते
क्योंकि वह जलजीरा नहीं है
पप्पू के लिए पैसे चार खरचने न खरचने का तनाव नहीं है
इसलिए वह फटाक्-फटाक् फर्र-फर्र सोचता है

सोचता-सोचता अपने नीले अंधेरों में वह कोसों दूर
जंगलों, झाड़ियों, सरोवरों में चला जाता है
पास बैठी पत्नी की तुलना में मीलों दूर का
ओस चूता गुलाब वन उसे साफ दिखाई देता है
फिर अचनक लुप्त हो जाता है...

तब हार कर बीच की जिन ऊबड़खाबड़ सड़कों, नालियों
और बदबू
को पार करके वह जाता है जीता है/ उनको सोचता है
और सोचता चला जाता है
यहां तक कि लौटता है खिंचे मुंह से
तो मुंह से बास आ रही होती है

लौटता है तो पत्नी हैरानी से उसे देखती मिलती है
और फटा झोला पकड़ा देती है सब्जी लाने
झोला पकड़ सिर झुकाए चलने से पहले
वह एक बार फिर
सोचता है कुल्ला कर ले या रहने ही दे!