भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हिमाचल प्रदेश (एक) / ओक्ताविओ पाज़
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:02, 26 जून 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओक्ताविओ पाज़ |अनुवादक=प्रयाग शु...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
नीचे पथरीली वनखण्डी के
खुले क्षितिज
देखे
छत्ता मधुमक्खियों का
घोड़े के मुँह जैसा
देखी घूर्मि पथराई
झूलते बगीचे मादक
बहुत बड़ा भौंरा एक
बैठा है सुगन्धि पर
चुपचाप
देखें ऋषि-मुनियों के पर्वत
चील भी जहाँ पर
लडख़ड़ाती
हवा में
(लड़की एक, बूढ़ी एक स्त्री-
ठठरी हड्डियों की,
गर बड़े शिखरों सम,
लिए चली जातीं)