भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पुल / ओक्ताविओ पाज़
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:25, 26 जून 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओक्ताविओ पाज़ |अनुवादक=अनिल जनवि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
अब और अभी के बीच
मेरे और तुम्हारे बीच
शब्दों का पुल है
उसमें घुसकर
अपने भीतर घुसते हैं आप
शब्द जोड़ते हैं
एक घेरे की तरह हमें पास लाते हैं
एक किनारे से दूसरे किनारे तक
वहाँ हमेशा
एक शरीर फैला रहता है
एक इन्द्रधनुष
जिसकी मेहराब तले सोता हूँ मैं