भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
राजा की सवारी आ रही है / मोहनदास नैमिशराय
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:03, 1 जुलाई 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मोहनदास नैमिशराय |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
राजा की सवारी आ रही है
यान्त्रिक घोड़ों पर सवार सुरक्षाकर्मी
सायरन सुनकर ही
समझ जाता है आम आदमी
राजा की सवारी आ रही है
चौराहे पर खड़ा सिपाही
संकेत देता है
लालबत्ती पर राजा रुकेगा नहीं
भीड़ खड़ी
ठगी देखती है
राजा की सवारी आ रही है
राजा के होंठों पर मुस्कान है
राजा आम आदमी नहीं है
राजा की सवारी ऐसी नहीं
जो रुक-रुक कर चले
उसे योजनाएँ बनानी हैं
उद्घाटन करने हैं
राजा की सवारी आ रही है।