भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हर बच्चे को दोस्त बनाएं / दिविक रमेश
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:25, 9 जुलाई 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} {{KKCatBaalKavita}} <p...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
आओ दोस्ती का मिलजुल कर
हर बच्चे तक हाथ बढ़ाएं
छूट न जाए कोई बच्चा
हर बच्चे को दोस्त बनाएं।
पौधे हों चाहे हों प्राणी
हम तो चाहते दोस्त बनें सब
कोई भी न लड़े कभी भी
हम तो चाहते दोस्त बनें सब।
हम को तो अच्छा लगता है
सबको दोस्त बनाना जी
माँ कहती आसान नहीं पर
सच्चा दोस्त बनाना जी।
सदा साथ निभाती है जो
वही दोस्ती होती सच्ची
गलत करे ना करने दे जो
वही दोस्ती होती सच्ची।
मजा बहुत पर आता हमको
दोस्त अरे जब घर पर आते
आकर गाकर और झूमकर
जन्मदिन के तोहफे लाते।