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भालू / दिविक रमेश
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अच्छा, जरा सोच कर देखूँ
कैसे लगते भालू राम,
अगर जो होती उनके मुँह पर
चोंच निराली
तोते जैसी।
और जो होती उनके सिर पर
कलगी प्यारी
मुर्गे जैसी।
अच्छा, जरा सोच कर देखूँ
कैसे लगते यदि दो छोटे,
सींग भी उनके
सिर पर होते।
कैसे लगते, अगर धारियाँ
चीते जैसी
उन पर होती।
कैसे लगते, जो उड़ने को
पंख भी होते,
सारस जैसे।
एक चित्र ही अच्छा ऐसा
जरा बना कर उनका देखूँ,
कैसे लगते भालू राम!