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सर्जना भरी हँसी / हेमन्त देवलेकर

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तेरी हँसी को सुन:
मिट्टी और उतावली
मौसम-बेमौसम
कुछ भी उगा देने को,
तालाब और मछलीदार
खिडकी और हवादार
टहनियाँ और चिड़ियादार।

तेरी हँसी को सुन:
खिलौने और भी प्रयोगधर्मी
किन नये-नये तरीकों से तुझे हँंसाया जाए
फिरकनियाँ और चक्करदार,
गेंद और टप्पेदार
गुल्लक और सिक्केदार।

तेरी हँसी को सुन:
चिडियाघरों को और गहरा अहसास
अभयारण्य होने का
नदियाँ और पानीदार,
हवाएँ और पतंगदार,
आंगन और रंगोलीदार।

तेरी हँसी को सुन:
ईश्वर को और तीव्र चाह
तेरी माँ कहलाने की
शब्द और प्रार्थनादार
रंग और उत्सवदार
श्वास और ख़ुशबूदार