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कट्टी / हेमन्त देवलेकर
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जब तू कट्टी हो जाती है
मिठास खट्टी हो जाती है।
गुस्से में आग बबूला हुई
जलती भट्टी हो जाती है।
खिलौनों के नन्हें दिल दल देती
चलती घट्टी हो जाती है।
चिड़ियों-सी चहचह काफू़र हुई
मुंह पर पट्टी हो जाती है।
मचलकर ज़मीं पर ही लोट गई
धूला-मट्टी हो जाती है।