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बज्जी दो! / रमेश तैलंग
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हारी हमारी बज्जी दो
या एक प्यारी चिज़्ज़ी दो,
झूठ-मूठ की नहीं चलेगी,
पापा जी! सच्ची-सच्ची दो!
खेल में ऐसी रोबंटी
देखो जी, हमसे यूँ न करो,
हार गये हो तो जल्दी
आकर हमारी बज्जी भरो।
अगर बनाया कोई बहाना
कह देंगे जाकर मम्मी को!
हमें पता है, छोड़ा अभी तो
पकड़ में फिर न आओगे,
गप्पों में फिर हमें लगाकर
छू-मन्तर हो जाओगे।
कौन जो घर में नहीं जानता
आपके जैसे गप्पी को!