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मेरे तो पीर उठे ननदी हँसत फिरे / मगही
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मगही लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
मेरे तो पीर उठे ननदी हँसत फिरे॥1॥
बाहर बैठे ससुर हमारे, ससुर, तोरे पइयाँ पडूँ।
ननदी बिदा करो, झलाही<ref>झगड़ालू</ref> बिदा करो॥2॥
बाहरे बैठे भैंसुर<ref>पति का बड़ा भाई</ref> हमारे, भैंसुर तोरे पइयाँ पडूँ।
ननदी बिदा करो, झलाही बिदा करो॥3॥
बाहर बैठे सइयाँ हमारे, सइयाँ तोरे पइयाँ पडूँ।
ननदी बिदा करो, झलाही बिदा करो॥4॥
कंगन सोनार घरे, चुनरी रँगरेज घरे।
गंगा जमुना बाढ़ आई, कैसे बिदा करूँ॥5॥
मेरे से कंगन ले लो, मेरे से चुंदरी ले लो।
नइया चढ़ा ननदी बिदा करो॥6॥
शब्दार्थ
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