मगही लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
मड़वा न सोभले कलसवा बिनु, अवरो<ref>और</ref> पुरहरवा<ref>पुरहर, कलश के ऊपर रखा जाने वाला पूर्णपात्र</ref> बिनु हे।
मड़वा न सोभले गोतियवा<ref>भाई-बन्धु</ref> बिनु, अवरो सवासिन<ref>गाँव की विवाहित लड़कियाँ</ref> बिनु हे॥1॥
चउका चनन कइसे बइठब, अपना पुरुखवा<ref>पुरुष, पति</ref> बिनु हे।
अरबे<ref>अरब की संख्या</ref> दरबे<ref>द्रव्य</ref> कइसे लुटायब, अपना पुतरवा<ref>पुत्र</ref> बिनु हे॥2॥
लाल पियर कइसे पेन्हब, अपन धिया<ref>पुत्री</ref> बिनु हे।
इयरी पियरी कइसे पेन्हब, अपना नइहरवा<ref>नैहर, मायका, अर्थात नैहर के लोगों की अनुपस्थिति में</ref> बिनु हे॥3॥
शब्दार्थ
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