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सभवा बइठल तोहें बाबा / मगही
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मगही लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
सभवा बइठल तोहें बाबा, बाबा बगिया<ref>बागीचा</ref> में कइसन<ref>कैसा</ref> इँजोर<ref>उद्योत, प्रकाश</ref>?
तूं नहीं जाने दुलरइतिन बेटी, आयल घेरी<ref>घेरकर</ref> बरिआत॥1॥
कउन रँग हथिन<ref>है</ref> बर बरियतिया, कउन रँग हुनकर<ref>उनका</ref> दाँत।
सोने रँग बरवा, रूपे रँग बरियतिया, पनमा रँगल हुनकर दाँत॥2॥
शब्दार्थ
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