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कुछ अचंभे कुछ अजूबे / प्रताप सोमवंशी
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कुछ अचंभे कुछ अजूबे घर हमारे देखिए
सब के ऊपर हो गए नौकर हमारे देखिए
देखकर अपनी ही परछाईं को यारों चौकना
किस तरह घर कर गया है डर हमारे देखिए
उड़ के दिखलाउंगा मैं भी सिर्फ़ इतना ही कहा
जड़ से ही कतरे गए हैं पर हमारे देखिए
खोलकर नन्ही सी मुठ्ठी एक बच्चे ने कहा
किसने रखे हाथ पर पत्थर हमारे देखिए
अपनी ही चीखें नहीं पड़ती सुनाई अब यहां
अब यहां तक दब गए हैं स्वर हमारे देखिए