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प्रलाप / आन्ना अख़्मातवा

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मैंने दफ़नाया
उन सबको
जो दफ़नाए नहीं गए थे
ठीक से

मैं कलपी, मैं रोई
सबके लिए

मगर
मेरे लिए
रोएगा कौन ?

(1958)

मूल रूसी भाषा से अनुवाद : सुधीर सक्सेना