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शब्दों का व्यापार तलाशा / प्रताप सोमवंशी
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शब्दों का व्यापार तलाशा
हमने कारोबार तलाशा
साहब जी ने ऐब तलाशे
हमने जब अधिकार तलाशा
खुशियां मुझ तक आती कैसे
हर रिश्ता बीमार तलाशा
जिन हाथों में काम नहीं था
उन सब ने हथियार तलाशा
दुनिया के पीछे पागल है
जिद्दी सा इक यार तलाशा