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वेख तेरी धी रूल गयी माई / सिया सचदेव
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वेख तेरी धी रूल गयी माई
किस वैरी नाल प्रीत लगाई
जिसनू अपना रब मन बैठी
ओस कलेजे सट्ट मेरे लाई
डुल गईं मैं क़दमा ते ओदे
मैं ता अपनी क़दर गवांई
हट्ट दफ़ा हो जा नज़रा तो
कह के टुर गया ओ हरजाई
किसनू आखा दुखड़े दिल दे
कौन समझदा पीड़ पराई