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चिड़ियाँ क्यों उड़ जाती हैं / विद्यावती कोकिल
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मुझको आता हुआ देखकर
चिड़ियाँ क्यों उड़ जाती हैं?
मेरे सींचे हुए आम की
इन बौराई डालों पर,
कठिन गगन-यात्रा से थककर
पहर-पहर सुस्ताती हैं।
मेरे कर से मेवा-मिश्री
लेने में शरमा जातीं,
स्वयं उतरकर रूखा-सूखा
दाना चुगने आती हैं।
मेरे मखमल के गद्दों से-
है कितना वैराग्य उन्हें,
पत्तों के मचान पर बैठी
पर दिन-दिन भर गाती हैं।
सोने के सुखमय पिंजरे पर
आता उनको मोह नहीं,
दिन भर तिनके बीन घोंसला
अपना दूर बनाती हैं।
यहीं पेड़ के नीचे अपनी
शाला नित्य लगाऊँगा,
ताकूँगा गूँगे फूलों पर
क्यों इतना पतियाती हैं!
-साभार: बालसखा, मई 1940, प्रथम पृष्ठ