Last modified on 6 अक्टूबर 2015, at 18:22

काला पैसा / तारादत्त निर्विरोध

Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:22, 6 अक्टूबर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तारादत्त निर्विरोध |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

गीदड़ के घर एटहोम में
पहुँचे सारस भाई,
खाने-पीने लगे अचानक
बिल्ली भागी आई।
बोली-ठहरो, कुछ मत खाना
यह आयोजन ऐसा,
खर्च हुआ जिसमें गीदड़ का
सारा काला पैसा!

-साभार: बालसखा, 1954