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पल पल जीवन जा रहा / त्रिलोक सिंह ठकुरेला
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पल पल जीवन जा रहा, कुछ तो कर शुभ काम।
जाना हाथ पसार कर, साथ न चले छदाम॥
साथ न चले छदाम, दे रहे खुद हो धोखा।
चित्रगुप्त के पास, कर्म का लेखा जोखा॥
'ठकुरेला' कविराय, छोड़िये सभी कपट, छल।
काम करो जी नेक, जा रहा जीवन पल पल॥