भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

लंपट / असंगघोष

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:07, 13 अक्टूबर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=असंगघोष |अनुवादक= |संग्रह=समय को इ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

गलाफाड़ कर
तुम्हीं कहते रहे हो
हमारे संस्कार
हमें बनाते हैं महान
और इन संस्कारों से ही
यह महादेश विश्वगुरु बना है
लेकिन
जरा विस्तार से बताओगे
तुम्हारा कौन-सा संस्कार
तुम्हें बनाता है विश्वगुरु
लंपट कहीं के...