भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्रेम / रोज़ा आउसलेण्डर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:07, 21 अक्टूबर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रोज़ा आउसलेण्डर |अनुवादक=प्रतिभ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
मिलेंगे हम दोनों फिर से
समुद्र में
तू पानी की तरह
मैं कमल के फूल की तरह
तू मुझे ले जाएगा
करूँगी मैं तेरा रसपान
एक ही हैं हम
सबकी आँखों के सामने I
यहाँ तक कि तारे भी
हैं आश्चर्यचकित
बदल लिए हैं यहाँ
रूप दोनों ने
सपनों में तेरे
जो तूने चुने हैं II
मूल जर्मन भाषा से प्रतिभा उपाध्याय द्वारा अनूदित