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अपने आँसू लौटा लो / श्यामनन्दन किशोर
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आँसू को तुम तोल सकोगी?
अपनी पलकों पर क्या मेरे
आँसू को तुम तोल सकोगी?
नापा गया किरण के कर से
धीर समुन्दर का कब पानी?
बता सकी कब जलन बादलों
की बिजली की क्षणिक जवानी?
मेरी अकथ व्यथा को क्या तुम
तुतले स्वर से बाल सकोगी?
क्या पहचाने निशा उषा-
अधरों पर बलिदानों की लाली?
बाँध सकी कब ज्योति-धार को
अपने बन्धन में अँधियाली?
अपने अज्ञानों से मेरा
क्या रहस्य तुम खोल सकोगी?
जो न भुला दे सुध-बुध तन की
वह जादू से भरा गीत क्या?
मैं न मानता प्रीत, कि जिसमें
हृदय सजग हो हार-जीत का।
अपनी चेतनता से मेरी
दुर्बलता ले मोल सकोगी?