भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
माँ / अनिल कुमार सिंह
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:12, 6 फ़रवरी 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनिल कुमार सिंह |संग्रह=पहला उपदेश / अनिल कुमार सिंह }} ...)
माँ
एक भरी हुई थाली का नाम है
मैं सोचता था
जब मैं बहुत छोटा था
आज मैं बड़ा हो गया हूँ
और सोचता हूँ
कि मैं गलत सोचता था।