भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मेरा देश है प्राण-पियारा / जनार्दन राय

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:57, 27 नवम्बर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जनार्दन राय |अनुवादक= |संग्रह=प्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मेरा देश है प्राण-पियारा,
इसके झंडे को झुकने न देंगे,
मेरा देश है प्राण-पियारा।

जिसके चरणों को धोता है सागर,
कर रही गंगा-यमुना उजागर।
उसकी कीर्ति को मिटने न देंगे,
इसके झंडे को झुकने न देंगे।
मेरा देश है प्राण-पियारा।

जो आजादी का दीप लेकर,
जिन्दा प्रताप था खुशियाँ देकर।
उसकी ज्योति को बुझने न देंगे,
इसके झंडे को झुकने न देंगे।
मेरा देश है प्राण-पियारा।

सीख लेंगे हम त्याग अपने राम से,
प्रीत पायेंगे प्यारे घनश्याम से।
लोक रीति को मिटने न देंगे,
इसके झंडे को झुकने न देंगे।
मेरा देश है प्राण-पियारा।

जिस तथागत ने घूम-घूम गाँव में,
दिया सन्देश देश औ विदेश में।
उसकी शिक्षा भूलाने न देंगे,
इसके झंडे को झुकने न देंगे।
मेरा देश है प्राण-पियारा।

गाँधी, राजेन्द्र, वीर जवाहर ने,
जिस पथ को दिखाया सुवास में।
उसी राह पे चलते रहेंगे,
इसके झंडे को झुकने न देंगे।
मेरा देश है प्राण-पियारा।