भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नवा बछर आगे / शकुंतला तरार

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:22, 15 दिसम्बर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शकुंतला तरार |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नवा बछर आगे उवीस नवा हे बिहान
नवा बछर आगे उवीस नवा हे बिहान
आज धरती के जागीस हे भाग
रे संगी
रहव जुरमिल के कहे हमर सियान
आज धरती के जागीस हे भाग
रे संगी
आज धरती के जागीस हे भाग

डारा पाना लहकत हे कोयली घलो कुहकत हे
संगी जहुंरिया संग मा, मंटोरा फुदकत हे
चंदा सुरुज संग मा बदत हे मितान
आज धरती के जागीस हे भाग
रे संगी
आज धरती के जागीस हे भाग

जोंधरी के लाई संग मा पाका-पाका बेल
नीच्चट गवईंया भईया कब चघबो रेल
छेड़व-छेड़व रे सुवा-ददरिया के तान
आज धरती के जागीस हे भाग
रे संगी
आज धरती के जागीस हे भाग

भकभकावे कंदील अऊ थरथरावे चिमनी
नवा बछर ए दरी गाँव मा आही बिजली
बगरत खुसियाली हमर होही उचान
आज धरती के जागीस हे भाग
रे संगी
आज धरती के जागीस हे भाग