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धरती दाई महतारी / शकुंतला तरार

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धरती दाई महतारी ये बड़ नीक लागे
अँगना मा सोन चिरैया
हाथ आरती लव,
फूल माला धरव
ओखर स्वागत ल तुमन करव जी
तुमन करव जी, तुमन करव जी
भाई एदे जी

होओ ओ ओ ओ

चंदा रे उवै चंदैनी के सोर
तोर मया मा दमके ये जिनगी मोर
मयारू के दोस

आमा के रुख मा बोईर नई फरय
बिन गीता-रामायण जिनगी नई चलय
मयारू के दोस

पबरित हे माटी चंदन बनव गा
लहरावय तिरंगा बंदन करव गा
  मयारू के दोस