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प्लास्टिक युग में / हेमन्त कुकरेती
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यह प्लास्टिक युग है। इसका कोई सम्भ्रान्त वैज्ञानिक नाम
भी होगा। आदमी नृशंस है और उसका नृतत्त्वशास्त्र है।
उसके लिए सबसे ज़रूरी हैं हड्डियाँ
चमड़े की उत्तेजना से आदमी की नस्ल का सम्बन्ध नहीं
ख़ून केवल धर्म के आता है काम। इस हड्डीखोर समय में
हर चीज़ का अनन्त सिलसिला है। चीज़ों का अन्त नहीं है।
सम्बन्ध का अन्त कर रहे होते हैं हम कि पता चलता है यह
एक और भंगुर सम्बन्ध की शुरूआत है
नश्वर आदमी ने प्लास्टिक जैसी यह कैसी अमर चीज़
को पैदा कर दिया कि पल्ले पड़ गया दुर्वह बोझ
दुनिया को मोमजामे से ढककर सुरक्षित किया लेकिन
कोई भी जामा आदमी को ऐसा पाजामा तक नहीं
दे सकता कि वह गुण्डागर्दी और राजनीति से बच सके!