भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्रेम तराना गाये / कमलेश द्विवेदी
Kavita Kosh से
Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:51, 25 दिसम्बर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कमलेश द्विवेदी |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
मेरा दिल दीवाना गाये.
गाये प्रेम तराना गाये.
अफ़साना लिख जाये कोई,
फिर कोई अफ़साना गाये.
उसके गीत सुनूँ तो लगता-
स्वर जाना-पहचाना गाये.
संग शमा के जलते-जलते,
जाने क्या परवाना गाये.
तीर चले नैनों के जब-जब,
घायल हो दीवाना गाये.
गाते-गाते वो शर्माये,
तो उसका शर्माना गाये.
प्यार भरा प्याला जो पी ले,
जीवन भर मस्ताना गाये.
जो-जो रास रचाये उसने,
वृन्दावन-बरसाना गाये.
मेरी गज़लें ऐसी ग़ज़लें,
मेरे साथ ज़माना गाये.