भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सन्नाटा / रजत कृष्ण

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:46, 4 जनवरी 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रजत कृष्ण |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।

भारी होता है सन्नाटा वह
जो फ़सल कटने के बाद
खेतों में पसरा करता ।

सन्नाटा वह भारी होता
उससे भी ज़्यादा
बेटी की विदाई के बाद
बाप के सीने में
जो उतरता है ।

कम भारी नहीं होता
उत्सव के बाद का सन्नाटा

यों सबसे भयावह होता
सन्नाटा वह
जो उस माँ के सीने में
हर साँझ सचरा करता
जिसके दोनों के दोनों बच्चे
भरी दीवाली में भी
घर से दूर होते ।।