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चिड़ियों की तस्बीह / नज़ीर अकबराबादी

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वक़्त सहर<ref>प्रातः काल</ref> की रूहें क्या हूं हूं हूं हूं करती हैं।
हूं हूं हूं हूं कर ज़िक्र<ref>चर्चा, एक प्रकार का जप</ref> कुन<ref>होज़ा</ref> और फ़याकू<ref>बस हो गया अल्लाह ने कहा कुन्, होजा फयाकुन्, बस हो गया, चिड़ियाँ अल्लाह की तारीफ़ महान् रचनाकार के रूप में करती हैं।</ref> करती हैं।
मुर्गे बोलें कुकडू़ कुकडू़ मुर्गियां कूं कूं करती हैं।
तूतिया भी सब याद में उसकी मत्तूं मत्तूं करती हैं।
सांझ सबेरे चिड़ियां मिलकर चूं चूं चूं चूं करती हैं।
चूं चूं चूं चूं चूं चूं क्या? सब बेचूं बेचूं करती हैं॥1॥

पंख हो या गुड पंख उसी के ग़म के तप में तपते हैं।
उनका और सीमुर्ग़ उसी की फर्क़त<ref>विरह</ref> बीच तड़पते हैं।
सारस, गिद्ध, हवासिल, बुज्जे, बगले पंख कलपते हैं।
पंख पखेरू जितने हैं, सब नाम उसी का जपते हैं।
सांझ सबेरे चिड़ियां मिलकर चूं चूं चूं चूं करती हैं।
चूं चूं चूं चूं चूं चूं क्या? सब बेचूं बेचूं करती हैं॥2॥

कु़मरी बोले हक़ सर्रा, बुलबुल बिस्मिल्लाह<ref>अल्लाह के नाम के साथ</ref>।
कबकटि टेरी चारों कुल और तीतर भी सुबहानअल्लाह<ref>अल्लाह पाक है</ref>।
दादुर, मोर, पपीहे, कोयल, कूक रहे अल्लाह अल्लाह।
फ़ाख़्ता कू कू, तीहू हू हू, तोते बोलें हक़ अल्लाह<ref>अल्लाह सत्य है</ref>
सांझ सबेरे चिड़ियां मिलकर चूं चूं चूं चूं करती हैं।
चूं चूं चूं चूं चूं चूं क्या? सब बेचूं बेचूं करती हैं॥3॥

शकरा, चैख और लग्घड़, बाशे और तुर्मती, बाज कोई।
कूंज, कबूतर, सब्ज़क झांपू, कलकल, सामार चोई॥
लाल पढ़े हैं सुम्मुन बुकमुन<ref>कुरान में प्रयुक्त एक शब्द</ref>, जग पहने पोशाक सोई।
पिदड़ी, पिद्दी, पोदने, शक्करख़ोरे बोलें तोई तोई।
सांझ सबेरे चिड़ियां मिलकर चूं चूं चूं चूं करती हैं।
चूं चूं चूं चूं चूं चूं क्या? सब बेचूं बेचूं करती हैं॥4॥

चील कतई यिस्सिजिल<ref>कुरान में प्रयुक्त एक वाक्यांश</ref> कहे चलूं चलूं मत जान मियां।
कौए कांय् कांय् करते हैं ऐलान कमा कान मियां।
भर भर बोले मुर्ग़ाबी, ”कुल्लोमनअलैहा फ़ान“<ref>कुरान में सत्ताईसवें पारे मंे प्रयुक्त एक वाक्य-प्रत्येक वस्तु का नाश होना है</ref> मियां।
जितने पंख पखेरू हैं, सब पढ़ते हैं कुरआन मियां।
सांझ सबेरे चिड़ियां मिलकर चूं चूं चूं चूं करती हैं।
चूं चूं चूं चूं चूं चूं क्या? सब बेचूं बेचूं करती हैं॥5॥

हंस हुमा, सुखऱ्ाब, बदखें, बोलें या रहमान<ref>दया करने वाला, ईश्वर</ref> मियां।
सारू हरियल और लटूरे धैयड़ या हन्नान<ref>बहुत अधिक उपकार करने वाला</ref> मियां।
कु़क्नस तीतर, चकवा चकवी बोलें या मन्नान<ref>मोक्ष प्रदान करने वाला, ईश्वर</ref> मियां।
हुद हुद बोलें ‘अहद-अहद’<ref>एक-एक</ref>, कुछ तू भी तो कर ध्यान मियां।
सांझ सबेरे चिड़ियां मिलकर चूं चूं चूं चूं करती हैं।
चूं चूं चूं चूं चूं चूं क्या? सब बेचूं बेचूं करती हैं॥6॥

बूम<ref>उल्लू</ref> चुग़द<ref>उल्लू</ref> सब्ज़का अबाबील और चकोरे शाम चिड़ी।
खंजन झय्यां लायं कुलंग और गूगाई की धूम पड़ी।
तितली टिड्डी, डांस, भभीरी कतरी, भौंरी और बड़ी।
मक्खी, मच्छर, पिस्सू, भुनगे, बोल रहे सब घड़ी-घड़ी।
सांझ सबेरे चिड़ियां मिलकर चूं चूं चूं चूं करती हैं।
चूं चूं चूं चूं चूं चूं क्या? सब बेचूं बेचूं करती हैं॥7॥

तन मन और लमढें़क ममोला हक़ हक़ तार पिरोते हैं।
अघन वये चंडोल, अबल़के याद में उसकी रोते हैं।
तायर<ref>पक्षी</ref> तो सब तुख़्मेमुहब्बत<ref>प्रेम का बीज</ref> उसका दिल में बोते हैं।
पंछी उसकी याद करें हम पांव पसारे सोते हैं।
सांझ सबेरे चिड़ियां मिलकर चूं चूं चूं चूं करती हैं।
चूं चूं चूं चूं चूं चूं क्या? सब बेचूं बेचूं करती हैं॥8॥

किस किस का लूं नाम ग़रज, हैं जितने तायर खुर्दो कबीर<ref>छोटे-बड़े</ref>।
कोई कहे या ‘रब्बेतवाना’<ref>शक्ति-शाली ईश्वर</ref> कोई कहे या ‘रब्बेक़दीर’<ref>सर्व शक्तिमान ईश्वर</ref>।
पंखी तो सब याद करें, और हम गफ़लत<ref>अनभिज्ञता</ref> में रहें असीर<ref>बंदी, कैद</ref>।
हमसा गा़फ़िल<ref>अनभिज्ञ</ref> दुनिया में, अब कोई न होगा आह ‘नज़ीर’।
सांझ सबेरे चिड़ियां मिलकर चूं चूं चूं चूं करती हैं।
चूं चूं चूं चूं चूं चूं क्या? सब बेचूं बेचूं करती हैं॥9॥

शब्दार्थ
<references/>