दुनियाँ बदले की जगह है / नज़ीर अकबराबादी
है दुनियां जिसका नाम मियां, यह और तरह की बस्ती है।
जो महंगों को तो महंगी है, और सस्तों को यह सस्ती है।
यां हर दम झगड़े उठते हैं, हर आन अदालत बस्ती है।
गर मस्त करे तो मस्ती है, और पस्त करे तो पस्ती है।
कुछ देर नहीं अंधेर नहीं, इंसाफ और अदल परस्ती है॥
इस हाथ करो उस हाथ मिले, यां सौदा दस्त ब दस्ती<ref>हाथ से हाथ का</ref> है॥1॥
जो और किसी का मन रक्खे तो उसको भी अरमान मिले।
जो पान खिलावे पान मिले, जो रोटी दे तो नाम मिले॥
नुकसान करे नुकसान मिले, अहसान करे अहसान मिले।
जो जैसा जिसके साथ करे फिर वैसा उसको आन मिले॥
कुछ देर नहीं अंधेर नहीं, इंसाफ और अदल परस्ती है॥
इस हाथ करो उस हाथ मिले, यां सौदा दस्त ब दस्ती है॥2॥
जो और किसी की जां बख़्शे, तो उसकी भी हक़ जान रखे।
जो और किसी की आन रक्खे, तो उसकी भी हक़ आन रखे।
जो यां का रहने वाला है, यह दिल में अपने जान रखे।
ये तुरत फुरत का नक़्शा है, इस नक्शे को पहचान रखे।
कुछ देर नहीं अंधेर नहीं, इंसाफ और अदल परस्ती है॥
इस हाथ करो उस हाथ मिले, यां सौदा दस्त ब दस्ती है॥3॥
जो पार उतारे औरों को, उसकी भी पार उतरनी है।
जो ग़र्क करे फिर उसको भी यां डुबकूं डुबकूं करनी है।
शमशीर<ref>तलवार</ref>, तबर<ref>एक प्रकार की कुल्हाड़ी, तबल</ref>, बन्दूक, सिनाँ<ref>नेजे़ और तीर की नोंक</ref> और नश्तर तीर, नहरनी है।
यां जैसी-जैसी करनी है फिर वैसी-वैसी भरनी है।
कुछ देर नहीं अंधेर नहीं, इंसाफ और अदल परस्ती है॥
इस हाथ करो उस हाथ मिले, यां सौदा दस्त ब दस्ती है॥4॥
जो और का ऊंचा बोल करे, तो उसका बोल भी बाला है।
और दे पटके तो उसको, कोई और पटकने वाला है।
बे जुल्मों ख़ता<ref>अत्याचार और गलती के बिना</ref> जिस ज़ालिम ने, मज़लूम<ref>जिस पर जुल्म किय गया हो</ref> जिबह कर डाला है।
उस ज़ालिम के भी लोहू का, फिर बहता नद्दी नाला है।
कुछ देर नहीं अंधेर नहीं, इंसाफ और अदल परस्ती है॥
इस हाथ करो उस हाथ मिले, यां सौदा दस्त ब दस्ती है॥5॥
जो मिश्री और के मुँह में दे, फिर वह भी शक्कर खाता है।
जो और के तई अब टक्कर दे, फिर वह भी टक्कर खाता है।
जो और को डाले चक्कर में, फिर वह भी चक्कर खाता है।
जो और को ठोकर मार चले, फिर वह भी ठोकर खाता है।
कुछ देर नहीं अंधेर नहीं, इंसाफ और अदल परस्ती है॥
इस हाथ करो उस हाथ मिले, यां सौदा दस्त ब दस्ती है॥6॥
जो और किसी को नाहक़ में, कोई झूठी बात लगाता है।
और कोई ग़रीब और बेचार, हक़ नाहक़ में लुट जाता है।
वह आप भी लूटा जाता है, और लाठी पाठी खाता है।
जो जैसा जैसा करता है फिर वैसा वैसा पाता है।
कुछ देर नहीं अंधेर नहीं, इंसाफ और अदल परस्ती है॥
इस हाथ करो उस हाथ मिले, यां सौदा दस्त ब दस्ती है॥7॥
जो और की पगड़ी ले भागे, उसका भी और उचक्का है।
जो और पै चौकी बिठला दे, उस पर भी घौंस धड़क्का है।
यां पुश्ती<ref>मदद</ref> में तो पुश्ती है, और धक्के में यां धक्का है।
क्या ज़ोर मजे़ का जमघट है, क्या ज़ोर यह भीड़ भड़क्का है।
कुछ देर नहीं अंधेर नहीं, इंसाफ और अदल परस्ती है॥
इस हाथ करो उस हाथ मिले, यां सौदा दस्त ब दस्ती है॥8॥
है खटका उसके हाथ लगा, जो और किसी को दे खटका।
और ग़ैव<ref>परोक्ष, भाग्य</ref> से झटका खाता है, जो और किसी को दे झटका।
चीरे के बीच में चीरा है, और पटके बीच जो है पटका।
क्या कहिये और ”नज़ीर“ आगे, है ज़ोर तमाशा झट पटका।
कुछ देर नहीं अंधेर नहीं, इंसाफ और अदल परस्ती है॥
इस हाथ करो उस हाथ मिले, यां सौदा दस्त ब दस्ती है॥9॥