भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

छात-दोय / विनोद स्वामी

Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:34, 23 जनवरी 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विनोद स्वामी |संग्रह= मंडाण / नीरज...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

म्हारै
साळ री छात
तीन बर पडग़ी।

अबकाळै
फेरूं पड़ूं-पड़ूं करै
म्हे फेरूं
कच्ची छात लगास्यां।