Last modified on 30 जनवरी 2016, at 14:35

संस्कृत हाइकु / शास्त्री नित्यगोपाल कटारे

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:35, 30 जनवरी 2016 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


अपमानित
सर्वदा क: देवता?
पति देवता।

पत्नी समक्षे
अहर्निशं पतति
कथ्यत् पति:।

ददाति सदा
आचरेण रोटिका:
सदाचारिणी।

अरुचिपूर्ण:
केवल सुदर्शन:
स्वरुचि भोज:।

या निज पति
व्रत कारयति-सा
पतिव्रतास्ति।
 
संस्कृत से हिंदी में अनुवाद स्वयं कवि के द्वारा

अपमानित
सदा कौन देवता?
पति देवता।

पत्नी सामने
बार-बार पतित
होता है पति।

खिलाती सदा
अचार से रोटियाँ
सदाचारिणी।

अरुचिपूर्ण
देखने में सुंदर
स्वरुचि भोज।

पति को रोज़
व्रत कराती वह
पतिव्रता है।