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हरि गावते तान रसाल खरे / प्रेमघन

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हरि गावते तान रसाल खरे, वै नचावति नैनन चित्त हरैं।
इत ई मुरली धुनि पूरि रहैं-कहो ताकि कहाँ उपमा ठहरैं॥
इत भौंह सों बद्रीनरायन जू वे बताय कै देत कड़ी कहरैं।
नित ऐसे सनेह सों राधिका श्याम हमारे हिये में सदा विहरैं॥