वार्ता-सज्जनों साधु भिक्षा लेने से पहले राजा अम्ब से तीन वचन ले लेते हैं और साधु वचनों में बंधे राजा का राजपाट ले लेते हैं और उसे अमृतसर राज की सीमा से बाहर निकल जाने का आदेश देते हैं। राजा अम्ब अपना सब कुछ साधु को भिक्षा में दान कर के रानी अम्बली के पास जाते हैं और क्या कहते हैं सुनिए इस रागनी में-
जवाब राजा का
लिए दिल नै डाट, कदे जा ना नाट
म्हारा राजपाट ले लिया फकीर नै।टेक
हो लिए सब तरिया तै तंग
परी कर ले चलणे का ढंग
तज रंग महल, करो वन की सैल
ले लिए गैल, सरवर और नीर नै।
तबीयत डाटी नहीं डटी
ईज्जत सब तरियां तै घटी
मिटे कर्म के रेख, होणी के लेख
लिए बहुत देख आराम शरीर नै।
होगी जिन्दगी पैमाल
साधु ने कर दिये घणे कमाल
ना रहे सुखी, सुण सूरज मुखी
कर दिये दुखी बैरण तकदीर नै।
अपणे साच बतादे दिल की
मैं देखूं था किसी अकल की
मेहर सिंह जाट ढील ना पल की
जिन्दगी का खार करया तासीर नै।