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आ बेटी तेरे लाड़ करू मनै बेटे तै भी प्यारी / मेहर सिंह

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वार्ता- सज्जनों जब सावित्री घर पहुंच कर अपनी सास के चरण लेती है तो उसकी सास क्या कहती है-

पायां कै म्हां लोट गई झट सासू ने पुचकारी
आ बेटी तेरे लाड़ करूं मनै बेटे तैं भी प्यारी।टेक

लेख कर्म के टळते ना घुण गैल चणे की पिसग्या
तेरे आवण तै हे बहु म्हारा कंगल्यां का घर बसग्या
उजड़या पड़्या था ढूंढ़ म्हारा घी का दीवा चसग्या
बूढ़ सुहागिण हो बेटी तेरा प्रेम गात में फंसग्या
जबतै धरी सै पैड़ बहु नै यो वंश हुयआ सै जारी।

अपणा मारै छा मैं गेरै अपणे मैं रूख हो सै
गई जवानी आया बुढ़ापा बहु बेट्या का सुख हो सै
जिसके बेटा बेटी ना ब्याहे जां तै मां बापां में टुक हो सै
ऊपरले मन तै कहै कोन्या पर भीतरले में दुःख हो सै
टोटे कै म्हां दुःखी रहै जो माणस हो घरबारी।

कितना ए आच्छा माणस हो पर टोटा नीच कहवादे
टोटे आळे माणस ने कोए धोरै बैठण ना दे
भरी सभा में जात तारले ये टोटे तेरे कादे
जिस घर में टोटा आ ज्या ऊन्हैं हाथ पकड़ कै ताह दे
कर्मा के अनुसार मिले सै कर्मा की गत न्यारी।

कहे मेहर सिंह आच्छा कोन्या सांग जाट का करणा
जित छोरे छारै बैठे हो उड़ै रागणियां का डर ना
भाईबन्द परिवार नार तज लिया रफळ का सरना
भूख कसूती लगै जिगर में पेट खड़ा हो भरना
मेहर सिंह खड्या ड्यूटी पै दे ड्यूटी सरकारी।