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समझदारी / रेणु मिश्रा

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दुनिया में दिल अज़ीज़ होने के लिए
समझदारी की नयी तहजीब सीखो
जब भी किसी से मिलो
बत्तीसी का इस्तेमाल बेहिसाब करो
कभी हाथ पकड़ के,
तो कभी गले लगा के बात करो
लोगों की हाँ में हाँ मिलाने के लिए
गिरगिटी फितरत के अनुसार रंग बदलो
दिखावे की नकली दुनिया को है
केवल दिखावे में विश्वास
सकुचा के चुप रह जाने से,
या केवल मुस्कुरा भर देने से,
समझ लिए जाओगे दंभी और खड़ूस
समझदार कहे जाने वाले लोग,
गले ना उतरने वाली बात को भी
मन की हांडी में पका ही लेते हैं
चाहे भीतर ही भीतर सुलग रहे हों
और जलन बेइन्तहां मची हो
लेकिन उठने नहीं देते मन से धुंआ
पानी की तरह बह रहे ठंडे लहू से
दाब देते हैं मन की कलुषता
उभार लाते हैं चेहरे पर
उजली, करारी, ठहाकेदार हंसी
दिखावटी दुनिया, इसे ही तो मानती है
मिलनसार होने की निशानी
आज की दुनिया में
सबसे बना के चलने को कहते है
सबसे बड़ी 'समझदारी'!!