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रै शहजादी के थूकैगी पंचायत / मेहर सिंह

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मैं ब्रहमण तूं मुस्लमान मेरे मतना लाईये हाथ
रै शहजादी के थूकैगी पंचायत।टेक

मैं कर रह्या सूं गरीब गुजारा तूं बदमाश जाण नै होरी
ब्याह शादी की मारी नेम ठाण नै होरी
बेईमान खाण नै होरी ब्राहमण के का गात।

तू तै कह सै मुस्लिम होले मेरै लागै जिगर मैं सेल
बैरी मारै दाव खेल कै तम मारो हंस खेल
किसै मुस्लमान के तै कर ले मेल जो निकाह पढ़ै तेरी साथ

मेरी बदनामी के सारै माच लिए रोले
थारी गुदी पाछै मत हो सै स्याणे लोग न्यूं बोले
किसै सरकी बन्द की गैल्यां होले थारी इसी बीर की जात।

और किसै का दोष नहीं कर्मां मैं रोना
कितै भी लिख राख्या कोन्या मुस्लमान होना
मेहर सिंह मामूली कोन्या कौम महजब की बात।