भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मैं भगवान नहीं हूँ / निदा नवाज़

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:35, 12 फ़रवरी 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निदा नवाज़ |अनुवादक= |संग्रह=अक्ष...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तुम कहते हो
भूल जाओ इन दुखों को
किन्तु जब
हरे पत्तों के झुलसने का
दुःख हो
तीव्र आंधी में उजड़े नीड़ों के
बिखरने का दुःख हो
बुद्धदेव के शापित होने का
दुःख हो
विश्व-स्वर्ग के
बाढ़-ग्रस्त होने का
दुःख हो
बर्फीले हाथों में
आंवां भरने का
दुःख हो
तो मेरे मित्र
मैं किस-किस दुःख को भूलूँ
कि मैं भगवान नहीं हूँ
जो भूल जाऊं
मैं मनुष्य हूँ
जो कुछ भी नहीं भूलता।